She visits me in my dream. This poem is the outcome of her visit.
My thought-
तुम जो मिल गए हो, तो ये लगता है के जहां मिल गया एक भटके हुए राही को, कारवाँ मिल गया
बैठो न दूर हमसे, देखो खफ़ा न हो क़िस्मत से मिल गए हो, मिलके जुदा न हो मेरी क्या ख़ता है, होता है ये भी की ज़मीं से भी कभी आसमां मिल गया तुम जो मिल गए हो...
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